बृहस्पतिवार व्रत कथा और आरती pdf

बृहस्पतिवार व्रत कथा और आरती

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हर गुरुवार को किया जाने वाला बृहस्पतिवार व्रत विष्णु भगवान और बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत श्रद्धा, समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। व्रत करने वाले भक्त इस दिन व्रत कथा का पाठ करते हैं, पूजा विधि का पालन करते हैं और विशेष रूप से बृहस्पति देव की आरती करते हैं।

इस PDF में आपको मिलेगा:

उद्यापन विधि – व्रत पूर्ण करने के बाद की अंतिम पूजा प्रक्रिया

बृहस्पति देव की व्रत कथा (Brihaspati Vrat Katha in Hindi)

पूजा विधि और व्रत करने का संपूर्ण तरीका

बृहस्पति देव की आरती के सुंदर बोल (Lyrics)

विष्णु भगवान की कथा और आरती भी इस संग्रह में सम्मिलित है

बृहस्पति देव की कथा और आरती PDF

बृहस्पति देव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य में की वृद्धि होती है। जिस भी व्यक्ति के जीवन में विवाह सम्बन्धी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, उन्हें बृहस्पति देव का व्रत अवश्य करना चाहिए। बृहस्पति देव के पूजन से घर में धन – धान्य का आगमन तो होता ही है साथ ही साथ घर में मांगलिक कार्य भी होते हैं। बृहस्पति देव नवग्रहों में से बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा सप्ताह में गुरुवार के दिन को प्रभावित करते हैं जिसे बृहस्पतिवार के नाम से भी जाना जाता है। आप भी इस व्रत को करके अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते है।

ऐसी मान्‍यता है कि व्रत करने और बृहस्पति व्रत कथा सुनने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस व्रत से धन संपत्ति की प्राप्ति होती है। जिन्हें संतान नहीं है, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख-शांति बढ़ती है। जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा, उनका जल्दी ही विवाह हो जाता है। ऐसे जातकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। बुद्धि और शक्ति का वरदान प्राप्त होता है और दोष दूर होता है।

बृहस्पतिवार व्रत कथा

भारतवर्ष में एक प्रतापी और दानी राजा राज्य करता था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्मणों की सहायता करता था। यह बात उसकी रानी को अच्छी नहीं लगती थी, वह न ही गरीबों को दान देती, न ही भगवान का पूजन करती थी और राजा को भी दान देने से मना किया करती थी।

एक दिन राजा शिकार खेलने वन को गए हुए थे, तो रानी महल में अकेली थी। उसी समय बृहस्पतिदेव साधु वेष में राजा के महल में भिक्षा के लिए गए और भिक्षा माँगी रानी ने भिक्षा देने से इन्कार किया और कहा: हे साधु महाराज मैं तो दान पुण्य से तंग आ गई हूं। मेरा पति सारा धन लुटाते रहिते हैं। मेरी इच्छा है कि हमारा धन नष्ट हो जाए फिर न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। साधु ने कहा :  देवी तुम तो बड़ी विचित्र हो। धन, सन्तान तो सभी चाहते हैं। पुत्र और लक्ष्मी तो पापी के घर भी होने चाहिए। यदि तुम्हारे पास अधिक धन है तो भूखों को भोजन दो, प्यासों के लिए प्याऊ बनवाओ, मुसाफिरों के लिए धर्मशालाएं खुलवाओ। जो निर्धन अपनी कुंवारी कन्याओं का विवाह नहीं कर सकते उनका विवाह करा दो। ऐसे और कई काम हैं जिनके करने से तुम्हारा यश लोक-परलोक में फैलेगा।

परन्तु रानी पर उपदेश का कोई प्रभाव न पड़ा। वह बोली: महाराज आप मुझे कुछ न समझाएं। मैं ऐसा धन नहीं चाहती जो हर जगह बाँटती फिरूं।  साधु ने उत्तर दिया यदि तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो तथास्तु! तुम ऐसा करना कि बृहस्पतिवार को घर लीपकर पीली मिट्‌टी से अपना सिर धोकर स्नान करना, भट्‌टी चढ़ाकर कपड़े धोना, ऐसा करने से आपका सारा धन नष्ट हो जाएगा। इतना कहकर वह साधु महाराज वहाँ से आलोप हो गये।

साधु के अनुसार कही बातों को पूरा करते हुए रानी को केवल तीन बृहस्पतिवार ही बीते थे, कि उसकी समस्त धन-संपत्ति नष्ट हो गई। भोजन के लिए राजा का परिवार तरसने लगा। तब एक दिन राजा ने रानी से बोला कि हे रानी, तुम यहीं रहो, मैं दूसरे देश को जाता हूं, क्योंकि यहाँ पर सभी लोग मुझे जानते हैं। इसलिए मैं कोई छोटा कार्य नहीं कर सकता। ऐसा कहकर राजा परदेश चला गया। वहाँ वह जंगल से लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेचता। इस तरह वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा। इधर, राजा के परदेश जाते ही रानी और दासी दुःखी रहने लगी।

Brihaspati Puja Vidhi

  • बृहस्पतिवार को सुबह-सुबह उठकर स्नान करें।
  • नहाने के बाद ही पीले रंग के वस्त्र पहन लें और पूजा के दौरान भी इन्ही वस्त्रों को पहन कर पूजा करें
  • भगवान सूर्य व मां तुलसी और शालिग्राम भगवान को जल चढ़ाएं।
  • मंदिर में भगवान विष्णु की विधिवत पूजन करें और पूजन के लिए पीली वस्तुओं का प्रयोग करें।
  • पीले फूल, चने की दाल, पीली मिठाई, पीले चावल, और हल्दी का प्रयोग करें।
  • इसके बाद केले के पेड़ के तने पर चने की दाल के साथ पूजा की जाती है।
  • केले के पेड़ में हल्दी युक्त जल चढ़ाएं केले के पेड़ की जड़ो में चने की दाल के साथ ही मुन्नके भी चढ़ाएं।
  • इसके बाद घी का दीपक जलाकर उस पेड़ की आरती करें और केले के पेड़ के पास ही बैठकर व्रत कथा का भी पाठ करें।

Brihaspati Aarti

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा॥
तुम पूर्ण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर,तुम सबके स्वामी॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा॥
चरणामृत निज निर्मल,सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक,कृपा करो भर्ता॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा॥
तन, मन, धन अर्पण कर,जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर,आकर द्वार खड़े॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा॥
दीनदयाल दयानिधि,भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता,भव बन्धन हारी॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा॥
सकल मनोरथ दायक,सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ,सन्तन सुखकारी॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा॥
जो कोई आरती तेरीप्रेम सहित गावे।
जेष्टानन्द बन्दसो सो निश्चय पावे॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

Guruvar Vrat Importance

वेदों और पुराणों के अनुसार, गुरुवार का व्रत रखना अत्यंत फलदाई है। उपवास करने के बाद गुरुवार व्रत कथा का पाठ करना लाभदायक माना गया है। गुरुवार का व्रत रखने से भक्तों को हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है तथा उनके कुंडली में गुरु ग्रह दोष दूर होता है। भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों को सर्व-सुखों की प्राप्ति होती है।

बृहस्पति देव ने बताया उपाय

रानी की बात मानकर बृहस्पति देव ने कहा कि अगर तुम ऐसा चाहती हो तो रोजाना अपने घर को गोबर से लीपना, अपने राजा से हजामत बनवाना, बालों को पीली मिट्टी से धोना, जो भी कपड़े हों सब धोबी को धोने के लिए दे देना और रोजाना मांस-मदिरा का सेवन करना इससे सारा धन नष्ट हो जाएगा। साधु की बात मानकर रानी हर दिन वैसा ही करने लगी और जल्द ही उसका सारा धन संपत्ति नष्ट हो गया। धन की कमी की वजह से राजा और उसका पूरा परिवार खाने के लिए तरसने लगा। तब खाने की व्यवस्था के लिए राजा दूसरे देश में चला गया। दूसरे देश में राजा जंगल से लकड़ी काटता था और शहर में बेचता था। इस परिस्थिति की वजह से वह सब काफी उदास रहने लगे।

7 दिन तक बिना भोजन के रही रानी

एक समय ऐसा आया जब रानी और उसकी दासी को सात दिनों तक बिना भोजन के रहना पड़ा। तब रानी ने अपनी दासी को अपनी बहन के पास भेजा और उससे मदद मांगने के लिए कहा। रानी की बात मानकर दासी उसकी बहन के पास गई। गुरुवार के दिन दासी रानी की बहन के घर पहुंची, तब रानी की बहन गुरुवार व्रत की कथा सुन रही थी जिसकी वजह से वह दासी के संदेश का उत्तर नहीं दे पाई। दासी वापस घर आ गई और जब उसने रानी को यह सारी बात बताई तब रानी बहुत क्रोधित हो गई। अपनी पूजा समाप्त करके रानी की बहन उसके घर आई और कहने लगी कि वह बृहस्पतिवार व्रत की कथा सुन रही थी इसीलिए जवाब नहीं दे पाई। 

बहन ने बताई बृहस्पतिवार व्रत की विधि 

तब रानी ने अपनी बहन को सारी बात बता दी जिसके बाद बहन ने कहा कि बृहस्पति देव हर एक इंसान की इच्छा पूरी करते हैं। एक बार देखो तुम्हारे घर में अनाज रखा है या नहीं। तब रानी ने अपनी दासी को घर में अनाज देखने के लिए भेजा। रानी की दासी जब अनाज ढूंढने गई तब उसने देखा कि एक घड़े में अनाज भरा हुआ है। तब दासी ने रानी को कहा कि क्यों ना वह भी बृहस्पतिवार का व्रत रखें। तब रानी की बहन ने बृहस्पतिवार व्रत की विधि बताई। अपनी बहन द्वारा बताई गई विधि के अनुसार रानी और उसकी दासी ने गुरुवार का व्रत रखा। जिस वजह से भगवान बृहस्पति देव उनसे खुश हो गए और साधारण रूप धारण करके दासी को दो थाल में पीला भोजन दे गए। जब दासी को यह भोजन मिला तब वह रानी के साथ भोजन ग्रहण करने लगी। 

बृहस्पतिवार व्रत कथा pdf

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  • PDF Name:   बृहस्पति-देव-की-कथा-और-आरती
    Author :   Live Pdf
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