nag panchami vart katha pdf

Nag Panchami Puja Vidhi In Hindi

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Nag Panchami Puja Vidhi In Hindi PDF Free Download: जानें नाग पंचमी 2025 की व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व। इस पर्व पर नागदेव की पूजा करें और खास मंत्रों का जाप करें। PDF में नाग पंचमी व्रत कथा एवं पूजा विधि मुफ्त डाउनलोड करें – Nag Panchami Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF

Nag Panchami Puja Vidhi In Hindi PDF Free Download

Nag Panchami Katha Hindi PDF आप यहाँ से चुटकियों में डाउनलोड कर सकते हैं बिना किसी परेशानी के। नाग पंचमी का त्यौहार नागों का त्यौहार होता है। भारत, नेपाल और अन्य देशों में जहाँ हिन्दू धर्म के अनुयायी रहते हैं वे सभी इस दिन पारंपरिक रूप से नाग देवता की पूजा करते है, और परिवार के कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद की मांग की जाती है। इस दिन नाग देवता के दर्शन किये जाते हैं, जिसका लोगों के बीच बहुत महत्व है इसके पीछे कुछ पौराणिक कथाएं भी छिपी हुई है।

Nag Panchami Vrat Katha Hindi PDF

प्राचीन काल में एक सेठजी के सात पुत्र थे। सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की विदूषी और सुशील थी, परंतु उसके भाई नहीं था।

एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने को पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ चलने को कहा तो सभी धलिया और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगी। तभी वहां एक सर्प निकला, जिसे बड़ी बहू खुरपी से मारने लगी। यह देखकर छोटी बहू ने उसे रोकते हुए कहा- ‘मत मारो इसे? यह बेचारा निरपराध है।’

यह सुनकर बड़ी बहू ने उसे नहीं मारा तब सर्प एक ओर जा बैठा। तब छोटी बहू ने उससे कहा-‘हम अभी लौट कर आती हैं तुम यहां से जाना मत। यह कहकर वह सबके साथ मिट्टी लेकर घर चली गई और वहां कामकाज में फंसकर सर्प से जो वादा किया था उसे भूल गई।

उसे दूसरे दिन वह बात याद आई तो सब को साथ लेकर वहां पहुंची और सर्प को उस स्थान पर बैठा देखकर बोली- सर्प भैया नमस्कार! सर्प ने कहा- ‘तू भैया कह चुकी है, इसलिए तुझे छोड़ देता हूं, नहीं तो झूठी बात कहने के कारण तुझे अभी डस लेता। वह बोली- भैया मुझसे भूल हो गई, उसकी क्षमा मांगती हूँ, तब सर्प बोला- अच्छा, तू आज से मेरी बहन हुई और मैं तेरा भाई हुआ। तुझे जो मांगना हो, मांग ले। वह बोली- भैया! मेरा कोई नहीं है, अच्छा हुआ जो तू मेरा भाई बन गया।

कुछ दिन व्यतीत होने पर वह सर्प मनुष्य का रूप रखकर उसके घर आया और बोला कि ‘मेरी बहन को भेज दो।’ सबने कहा कि ‘इसके तो कोई भाई नहीं था, तो वह बोला- मैं दूर के रिश्ते में इसका भाई हूं, बचपन में ही बाहर चला गया था। उसके विश्वास दिलाने पर घर के लोगों ने छोटी को उसके साथ भेज दिया। उसने मार्ग में बताया कि ‘मैं वहीं सर्प हूं, इसलिए तू डरना नहीं और जहां चलने में कठिनाई हो वहां मेरी पूंछ पकड़ लेना। उसने कहे अनुसार ही किया और इस प्रकार वह उसके घर पहुंच गई। वहां के धन-ऐश्वर्य को देखकर वह चकित हो गई।

एक दिन सर्प की माता ने उससे कहा- ‘मैं एक काम से बाहर जा रही हूँ, तू अपने भाई को ठंडा दूध पिला देना। उसे यह बात ध्यान न रही और उससे गर्म दूध पिला दिया, जिसमें उसका मुख बेतरह जल गया। यह देखकर सर्प की माता बहुत क्रोधित हुई। परंतु सर्प के समझाने पर शांत हो गई। तब सर्प ने कहा कि बहिन को अब उसके घर भेज देना चाहिए। तब सर्प और उसके पिता ने उसे बहुत सा सोना, चांदी, जवाहरात, वस्त्र-भूषण आदि देकर उसके घर पहुंचा दिया।

इतना ढेर सारा धन देखकर बड़ी बहू ने ईर्ष्या से कहा- भाई तो बड़ा धनवान है, तुझे तो उससे और भी धन लाना चाहिए। सर्प ने यह वचन सुना तो सब वस्तुएं सोने की लाकर दे दीं। यह देखकर बड़ी बहू ने कहा- ‘इन्हें झाड़ने की झाड़ू भी सोने की होनी चाहिए’। तब सर्प ने झाडू भी सोने की लाकर रख दी।

सर्प ने छोटी बहू को हीरा-मणियों का एक अद्भुत हार दिया था। उसकी प्रशंसा उस देश की रानी ने भी सुनी और वह राजा से बोली कि- सेठ की छोटी बहू का हार यहां आना चाहिए।’ राजा ने मंत्री को हुक्म दिया कि उससे वह हार लेकर शीघ्र उपस्थित हो मंत्री ने सेठजी से जाकर कहा कि ‘महारानीजी छोटी बहू का हार पहनेंगी, वह उससे लेकर मुझे दे दो’। सेठजी ने डर के कारण छोटी बहू से हार मंगाकर दे दिया।

छोटी बहू को यह बात बहुत बुरी लगी, उसने अपने सर्प भाई को याद किया और आने पर प्रार्थना की- भैया ! रानी ने हार छीन लिया है, तुम कुछ ऐसा करो कि जब वह हार उसके गले में रहे, तब तक के लिए सर्प बन जाए और जब वह मुझे लौटा दे तब हीरों और मणियों का हो जाए। सर्प ने ठीक वैसा ही किया। जैसे ही रानी ने हार पहना, वैसे ही वह सर्प बन गया। यह देखकर रानी चीख पड़ी और रोने लगी।

यह देख कर राजा ने सेठ के पास खबर भेजी कि छोटी बहू को तुरंत भेजो। सेठजी डर गए कि राजा न जाने क्या करेगा? वे स्वयं छोटी बहू को साथ लेकर उपस्थित हुए। राजा ने छोटी बहू से पूछा- तुने क्या जादू किया है, मैं तुझे दंड दूंगा। छोटी बहू बोली- राजन ! धृष्टता क्षमा कीजिए, यह हार ही ऐसा है कि मेरे गले में हीरों और मणियों का रहता है और दूसरे के गले में सर्प बन जाता है। यह सुनकर राजा ने वह सर्प बना हार उसे देकर कहा- अभी पहनकर दिखाओ। छोटी बहू ने जैसे ही उसे पहना वैसे ही हीरों-मणियों का हो गया।

यह देखकर राजा को उसकी बात का विश्वास हो गया और उसने प्रसन्न होकर उसे बहुत सी मुद्राएं भी पुरस्कार में दीं। छोटी वह अपने हार और इन सहित घर लौट आई। उसके धन को देखकर बड़ी बहू ने ईर्ष्या के कारण उसके पति को सिखाया कि छोटी बहू के पास कहीं से धन आया है। यह सुनकर उसके पति ने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा- ठीक-ठीक बता कि यह धन तुझे कौन देता है? तब वह सर्प को याद करने लगी।

तब उसी समय सर्प ने प्रकट होकर कहा- यदि मेरी धर्म बहन के आचरण पर संदेह प्रकट करेगा तो मैं उसे खा लूंगा। यह सुनकर छोटी बहू का पति बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सर्प देवता का बड़ा सत्कार किया। उसी दिन से नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है और स्त्रियां सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं।

Nag Panchami Pooja Vidhi

नाग पंचमी की पूजा का नियम सभी का अलग होता हैं, कई तरह की मान्यता होती हैं. एक तरह की नाग पंचमी पूजा विधि यहाँ दी गई हैं.

  • सबसे पहले सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान किया जाता हैं. निर्मल स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं।
  • भोजन में सभी के अलग नियम होते हैं, एवं उन्ही के अनुसार भोग लगाया जाता हैं. कई घरों में दाल बाटी बनती हैं. कई लोगों के यहाँ खीर पुड़ी बनती हैं. कईयों के यहाँ चांवल बनाना गलत माना जाता हैं. कई परिवार इस दिन चूल्हा नहीं जलाते अतः उनके घर बासा खाने का नियम होता हैं. इस तरह सभी अपने हिसाब से भोग तैयार करते हैं।
  • इसके बाद पूजा के लिए घर की एक दीवार पर गेरू, जोकि एक विशेष पत्थर है से लेप कर यह हिस्सा शुद्ध किया जाता हैं. यह दीवार कई लोगों के घर की प्रवेश द्वार होती हैं तो कई के रसोई घर की दीवार. इस छोटे से भाग पर कोयले एवं घी से बने काजल की तरह के लेप से एक चौकोर डिब्बा बनाया जाता हैं. इस डिब्बे के अन्दर छोटे छोटे सर्प बनाये जाते हैं. इस तरह की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती हैं।
  • कई परिवारों में यह सर्प की आकृति कागज पर बनाई जाती हैं।
  • कई परिवार घर के द्वार पर चन्दन से सर्प की आकृति बनाते हैं, एवं पूजा करते हैं।
  • इस पूजा के बाद घरों में सपेरे को लाया जाता हैं जिनके पास टोकनी में सर्प होता हैं, जिसके दांत नहीं होते साथ ही इनका जहर निकाल दिया जाता हैं. उनकी पूजा की जाती हैं. उन्हें अक्षत, पुष्प, कुमकुम चढ़ाकर दूध एवं भोजन का भोग लगाया जाता हैं।
  • इस दिन सर्प को दूध पिलाने की प्रथा हैं. साथ ही सपेरे को दान दिया जाता हैं।
  • कई लोग इस दिन कीमत देकर सर्प को सपेरे के बंधन से मुक्त भी कराते हैं।
  • इस दिन बाम्बी के भी दर्शन किये जाते हैं. बाम्बी सर्प के रहने का स्थान होता हैं. जो मिट्टी से बना होता हैं, उसमे छोटे- छोटे छिद्र होते हैं. यह एक टीले के समान दिखाई देता हैं।

इस प्रकार नाग पंचमी की पूजा की जाती हैं. फिर सभी परिवारजनों के साथ मिलकर भोजन करते हैं।

Nag Panchami Vrat Vidhan

नाग पंचमी सावन की शुक्ल पंचमी को मनाई जाती हैं, उस समय कई लोग सावन के व्रत करते हैं। जिसमें कई लोग धन धान्य की ईच्छा से नाग पंचमी का व्रत करते हैं। इस दिन नाग देवता के मंदिर में श्री फल चढ़ाया जाता हैं।

‘ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ श्लोक का उच्चारण कर सर्प का जहर उतारा जाता हैं, और सर्प के प्रकोप से बचने के लिए नाग पंचमी की पूजा की जाती हैं।

नाग पंचमी का मेला कब और कहां लगता है

हम हर साल अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सारे त्यौहार मनाते हैं लेकिन हमारे हिंदी कैलेंडर में अंग्रेजी कैलेंडर से बहुत ज्यादा अधिक त्योहार होते हैं। उन्हीं में से एक होता है सावन के महीने में आने वाला नाग पंचमी का त्यौहार। जो सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तिथि के पांचवें दिन पर मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा उनको स्नान कराना बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभदायक समझा जाता है।

प्रत्येक वर्ष इस त्यौहार को मनाने के लिए काशी, वाराणसी में एक स्थान पर बहुत बड़ा मेला लगता है। उस स्थान का नाम नाग कुआं है। सावन मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी नामक इस मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पर सर्व देवता के दर्शन हो जाए तो उस व्यक्ति की कुंडली से सारे सर्प दोष खत्म हो जाते हैं। नाग पंचमी के दिन विभिन्न गांवों और कस्बों में विभिन्न तरह के खेल भी होते हैं जिसमें कुश्ती का आयोजन भी होता है। इस दिन गाय बैल आदि पशुओं को भी नदी या तालाब में ले जाकर नहला धुलाकर तैयार किया जाता है ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है।

Nag Panchami Benefits

मान्यताओं के अनुसार, जो कोई भी इस विशेष दिन पर नाग देव की पूजा करता है, उसे उन सभी प्रकार के दुर्भाग्य से मुक्ति मिल जाती है, जो पाप ग्रहों राहु और केतु द्वारा उन पर लाए जाते हैं। काल सर्प दोष से पीड़ित लोग भी इसके नकारात्मक प्रभावों से मुक्त होंगे, विश्वासियों के अनुसार।

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  • PDF Name:   नाग पंचमी की व्रत कथा
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