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Tarak Mantra – तारक मंत्र PDF Free Download, Swami Tarak Mantra, स्वामी समर्थ तारक मंत्र फायदे, तारक मंत्र जप, तारक मंत्र 11 वेळा, स्वामी समर्थ तारक मंत्र lyrics, अतर्क्य अवधूत.
गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णू,
गुरुः देवो महेश्वरा।
गुरु शाक्षात परब्रम्हा,
तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
अर्थात्: गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही भगवान शिव है। गुरु ही पर ब्रह्म है, और गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।
निशंक होई रे मना निर्भय होई रे मना,
प्रचंड स्वामी बळ पाठीशी नित्यं आहे रे।
मना अतर्क्य अवधूत हे स्मरणगामी,
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।
अर्थात्: हे मन, तुम निशंक (बिना शंका) के और निडर रहो. सर्व शाक्तिशाली स्वामी सदा तुम्हारे साथ है. अतर्क्य अवधृत है स्मृत गामी. असंभव को संभव भी करेंगे स्वामी.
जिथे स्वामीपाय तिथे न्युन काय,
स्वये भक्त प्रारब्ध घडवी ही माय।
आज्ञेविन काळ ना नेई,
त्यालापरलोकीही ना भिती तयाला।।
अर्थात: जहां स्वामी जी के चरण हो, वहां किस चीज की कमी है. भक्तों का भाग्य स्वयं लिखते है स्वामी. स्वामी जी की कृपा जिस पर भी होती है उसे तीनों लोकों में डर नहीं होता.
उगाचि भितोसी भय हे पळु दे,
वसे अंतरी ही स्वामी शक्ती कळू दे।
जगी जन्म मृत्यू असे खेळ ज्यांचा,
नको घाबरू तू असे बाळ त्यांचा,
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।
अर्थात्: बिना कारण के डरता है तू, डर को भगा दे, मन में बसे स्वामी की शक्ति को समझ ले. जीना मरना सब खेल है उनका, तुम डरो नहीं, तुम उनके बच्चे के समान हो. असंभव को भी स्वामी संभव करेंगे.
खरा होई जागा श्रद्धेसहीत कसा,
होसी त्याविण तू स्वामी भक्त।
आठव कितीदा दिली त्यांनीच साथ,
नको डगमगू स्वामी देतील हात,
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।
अर्थात्: दिल में जगा लो तुम श्रद्धा की ज्योति, तभी तुम बन सकोगे स्वामी भक्त. कई बार दिया है तुमको सहारा, डरो नहीं स्वामी हमेशा तुम्हारा साथ देंगे. असंभव को भी स्वामी संभव करेंगे.
विभुती नमन नाम ध्यानादी,
तीर्थस्वामीच ह्या पंचप्राणामृतात।
हे तीर्थ घे आठवी रे प्रचिती,
न सोडी कदा स्वामी ज्या घेई हाती।।
अर्थात्: विभूति, नमन, नाम, ध्यानादी , तीर्थ, इन पांच प्राणों में स्वामी ही व्याप्त है. स्वामी ही रहते है हर पल साथ, एक बार हाथ थाम लिया तो वो हाथ कभी नही छोड़ते.
आपको स्वामी जी के तारक मंत्र की अर्थ सहित जानकारी तो हमने दे दी, अब हम आपको इस मंत्र के जाप करने की उचित विधि के बारे में जानकारी देते है. उचित विधि से Swami Samarth Tarak Mantra (स्वामी समर्थ तारक मंत्र) का जाप करने के ढेर सारे फायदे है.
Swami Samarth Tarak Mantra (स्वामी समर्थ तारक मंत्र) का जाप जमीन पर या किसी साफ और स्वच्छ आसन पर बैठकर करना चाहिए. जिनके पैरों या घुटनों में तकलीफ हो वो कुर्सी पर बैठकर भी जाप कर सकते है.
इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कुर्सी साफ स्वच्छ और शुद्ध हो. ऐसी कुर्सी का प्रयोग न करें जिस पर बैठकर कभी भी मांसाहार का सेवन किया गया हो.
मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का ही उपयोग करना चाहिए. हर बार एक ही माला का प्रयोग करें. माला बदलने की गलती ना करें.
यह अनिवार्य है. Swami Samarth Tarak Mantra (स्वामी समर्थ तारक मंत्र) के जाप के समय श्री स्वामी समर्थ का चित्र या फोटो होना चाहिए. उनके चित्र या फोटो को नमस्कार करके मंत्रोच्चारण करना चाहिए. ऐसा ना करने मंत्र जाप का कोई फल नहीं मिलता.
वैसे तो Swami Samarth Tarak Mantra (स्वामी समर्थ तारक मंत्र) का जाप कभी भी किया जा सकता है किंतु जानकार लोगों की हमेशा यह सलाह होती है कि इस पवित्र मंत्र का जाप सुबह करना चाहिए. सुबह उठने के बाद हाथ-पैर धोकर जमीन, आसन, या कुर्सी पर बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
श्री स्वामी समर्थ यह केवल एक नाम नहीं बल्कि अपने आप में एक एक षडाक्षरी मंत्र है. स्वामी प्रेम, आनंद, प्राण एवं तेज है वे नित्य जगे हुए है. जीवों के उद्धार के लिए परमात्मा स्वयं ही श्री स्वामी समर्थ के रूप में आएं है.
स्वामी जी भक्तों के पुकारने पर तत्काल अवतरित होने वाले साक्षात् ईश्वर है. श्री स्वामी समर्थ महाराज जी का कहना है कि तुम चाहे मेरी पूजा करों या ना करों, मेरा नाम लो या ना लो मैं सदैव सर्वत्र हूँ जैसे की हवा, चाहे कोई हवा की सत्ता माने या ना माने फिर भी हवा है और बहते रहना ही उसकी प्रकृति है. स्वामी भी ठीक ऐसे ही है और कृपा बरसते रहना इनकी प्रकृति है.
जिस प्रकार शक़्कर से कोई मिठास छीन नहीं सकता उसी प्रकार स्वामी जी से भी कोई उनका स्वाभाव छीन नहीं सकता. दत्त संप्रदाय में स्वामी का अवतार चौथा है. सम्पूर्ण विश्व शक्ति सगुण रूप ले लेकर अपने अवतार कार्य आरम्भ करते है. तब लिया हुआ शरीर का विशेष रूप, जन्म कुंडली भी सबकुछ अद्भुत होता है. रिद्धि-सिद्धि सभी स्वागत और सेवा करने लगते है. भगवंत के छह गुण है: ऐश्वर्य, धर्म, यश, वैभव, ज्ञान और वैराग्य. इन्हे ही सद्गुण तथा भग भी कहा जाता है भग अर्थात भगवंत या भगवान, जिनके पास ये छह सद्गुण है. जैसे जिसके पास शक्ति है उसे शक्तिवान कहते है उसी प्रकार भग-भगवान.
स्वामी जी के मन में जो आता है वह करते है जैसे कि कभी-कभी वे नहाते नहीं और कभी-कभी एक दिन में 4 बार नहाते, फिर भी उनके शरीर से चन्दन, फूलों और धुप की सुगंध आती. इसी प्रकार जब स्वामी जी भोजन करने बैठते थे, तब वे 100 से अधिक ज्वार की रोटी (भाकरी) खाते और कभी-कभी महीनो तक वे कुछ खाते नहीं और यहाँ तक की वे पानी भी नहीं पीते. स्वामी जी की बात ही निराली है उनकी लीलाएं तो स्वयं स्वामी जी ही जानते है.
स्वामी जी को सुबह उठकर मीठा खाना बहुत पसंद है जैसे मसाला दूध, खीर या कैरी का पना. स्वामी जी कभी-कभी दरवाजे से ही खाना मांगते थे और गाय को मेरी माई कहकर उसे खिलाते थे. स्वामी जी को गाय एवं कुत्ता बहुत पसंद है अपनी खाने की थाली में वे गौ माता और कुत्ते को भी साथ लेकर बैठ जाते थे. और उन्हें भी अपने हाथों से प्रेम से खिलाते थे.
स्वामी जी के भक्त गोपाल कृष्ण बुआ केलकर इन्होने स्वामी जी को अपनी आँखों से देखा है. उनके अनुसार स्वामी कभी भी पूरा नहीं सोते कभी-कभी वे कम्बल लेकर अपने आपको ढांकते तो कभी रात को डेढ़-दो बजे अभंग भजन गाते, क़ुराण के भी कुछ शब्दो का उच्चारण करते एवं कभी-कभी वेद की व्याख्या भी कहते थे, तो कभी-कभी ध्यानमूर्ति अलग-अलग भाषा में अपने आप से बातें करते रहते थे. स्वामी जी को कड़वा नीम, बड़ और औदुम्बर के वृक्ष अतिप्रिय है.
स्वामी जी बहुत सी भाषाओं के धनि है लेकिन वे जहाँ रहते वहां हिंदी या मराठी भाषा से काम चल जाता था. स्वामी जी छोटे बच्चो के साथ खूब खेलते और उनका मार्गदर्शन भी करते थे, उन्हें संस्कार देते थे और बच्चो के साथ बच्चा बनकर खेलते थे. नंदा नाम की एक गौ माता को स्वामी जी से और स्वामी जी को उससे अत्यंत प्रेम और स्नेह है. निंदा करने वाले लोगो से स्वामी दूर ही रहते थे उनको उन्ही के तरीके से मार्ग दिखाते थे. स्वामी जी का ऐसा अनोखा एवं अद्भुत अवतार भगवान की बड़ी लीला है.
एक दिन कलकत्ता के एक पारसी व्यक्ति ने स्वामी जी से पूछा स्वामी आप कहाँ से आएं है? स्वामी जी ने जवाब दिया कर्दल वन हिमालय से मैं निकला फिर हरिद्वार केदारेश्वर के दर्शन किए फिर बंगाल में काली माँ का दर्शन लेकर जगन्नाथ पूरी फिर गंगा तट पर कुछ वर्ष बिताने के बाद महाराष्ट्र में पंढरपुर, मोहोल, शोलापुर, अक्कलकोट ऐसी मेरी यात्रा है और अब मैं अक्कलकोट का ही हो गया. ऐसे अनेको स्थान पर उन्हें अनेको नाम मिले कही पर उन्हें चंचल भारती कहते नृसिंह सरस्वती, मंगल्वेधा में दिगंबर बुआ और अक्कलकोट में स्वामी महाराज, भक्तों ने अपने भावानुसार उन्हें नाम दिए और स्वामी जी ने वे स्वीकार भी किए.
स्वामी जी से सभी लोग अपनी समस्या पूछने आते थे उनके पास भक्तों की बहुत भीड़ लग जाती थी. स्वामी जी किसी भी धर्म में कभी भेदभाव नहीं करते थे. वे हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सभी को एक समान मानते थे उनका कहना था जाति-धर्म में क्या रखा है, आत्मा तो एक ही है चाहे प्राणी हो या मनुष्य. स्वामी जी की ऐसी ज्ञानवर्धक बातें सुनकर लोगो को लगता था कि वे अमृत बरसा रहे है. स्वामी जी सदैव लोगो को आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए प्रेरित करते थे और उनके प्रश्नो की पूर्ति भी करते थे.
एक बार सैयद नाम के व्यक्ति ने स्वामी जी के मठ पर आकर जोर से कहा, क्यों जी अक्कलकोट के स्वामी कहाँ है? स्वामी जी ने उत्तर दिया अक्कलकोट के स्वामी अक्कलकोट में ही है तू यहाँ क्या देखता है. उत्तर पाकर उसे जो समझना था वो समझ गया. उसकी वहीं समाधी लग गई.
थोड़ी देर के बाद स्वामी के स्त्रोत उसके मुँह से निकले स्वामी के गुणगान करने लगा और जोर-जोर से कहने लगा खुदा के ही दर्शन हो गए अक्कलकोट में खुदा देख लिया. किस्मत की बात है मैं आपका बंदा हूँ. सैयद यह सब बोलने लगा. स्वामी जी की खास बात यहीं है कि भक्त जिस रूप में चाहे वे उस रूप में दर्शन दे देते थे, चाहे वह शिवजी हो, श्री राम, श्री कृष्ण, विट्ठल हो यहाँ तक की वे खुदा, अल्लाह के रूप में भी दर्शन देते थे कोई भी स्वामी जी के दर से मायूस होकर नहीं लौटता था.
श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र जप के कई फायदे है और इससे स्वामी समर्थ जी की कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है. तो आईए आपको तारक मंत्र से होने वाले लाभों के बारे में जानकारी देते है.
दोस्तों तारक मंत्र, स्वामी समर्थ जी का अत्यंत प्रभावी मंत्र है. “तारक मंत्र” इन दो शब्दों में ही इसका अर्थ समाया हुआ है. जो व्यक्ति बीमारी से परेशान है, जो टेंशन से ग्रस्त है उन्हें दूर करने के लिए स्वामी समर्थ हमेशा कुछ न कुछ उपाय करते ही रहते है.
इसीलिए स्वामी जी ने हमें “श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र” एक अनमोल भेंट के रूप में दिया है. तारक मंत्र बहुत शक्तिशाली मंत्र है. तारक मंत्र में इतनी प्रचंड शक्ति है कि आप या हम इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते. यह स्वामी समर्थ जी की शक्तियां है जो इस तारक मंत्र में समाई हुई है.
जब आप तारक मंत्र का जाप करेंगे तो आप खुद ही अपने आप में एक मानसिक बल का अनुभव करेंगे. कई लोगो ने इस मंत्र जाप किया है और उन्हें इससे कई प्रकार से लाभ मिले है. यदि आप मानसिक तनाव महसूस करते है और आपको ऐसा लगता है कि अब सबकुछ ख़त्म हो चूका है कोई उम्मीद या आशा की किरण आपको नज़र नहीं आ रही है. तब यह मंत्र आपके लिए मार्गदर्शन का काम करता है. तारक मंत्र के जाप से स्वयं स्वामी समर्थ आपको सही मार्ग दिखाते है.
यदि आपके काम अटके पड़े है आपको किसी भी काम में सफलता नहीं मिल पा रही है जिसकी वजह से आप परेशान रहते है निराश रहते है हिम्मत हार चुके है तब इन सभी चीज़ो के लिए एक ही रामबाण इलाज है और वह है श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र का जाप करना. इस मंत्र के जाप से आप हमेशा सकारात्मक महसूस करेंगे और आपका जीवन सफलता की ओर अग्रसर होगा.
स्वामी समर्थ जी की शक्ति इतनी है कि उनकी आज्ञा के बिना कोई आपको हाथ भी नहीं लगा सकता. जिस प्रकार माँ अपने बच्चे को दुःख में नहीं देख सकती ठीक उसी प्रकार श्री स्वामी समर्थ जी अपने भक्तों को दुखी नहीं देख सकते. यदि आप श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र का जाप करते है तब आपको घबराने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि मंत्र जाप करने से श्री स्वामी समर्थ जी का हाथ सदैव आपके सर पर होता है वे आपको हर परेशानी से बचा लेंगे.
श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र का जाप करने से हमारे अंदर शक्ति का संचार होता है. इस मंत्र के जाप से स्वामी समर्थ जी आकर हमारे सारे दुखो को हर लेते है. इस मंत्र का जाप धीरे-धीरे करने से हमारे अंदर बल और शक्ति का संचार होता है यह स्वामी समर्थ जी के भक्तों का अनुभव है.
श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र (Swami Samarth Tarak Mantra) के जाप से एक समय ऐसा आएगा जब आपके मित्र आपसे पूछेंगे कि तुम ऐसा क्या कर रहे हो जो तुम्हे इतनी जल्दी सफलता मिल रही है. लेकिन इसका उत्तर केवल आप जानते होंगे कि आपके ऊपर ऐसे स्वामी समर्थ जी का हाथ है जिनकी इच्छा के बिना पेड़ का एक पत्ता तक नहीं हिलता.
श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र (Swami Samarth Tarak Mantra) का जाप करने से आपको मानसिक, शारीरिक सभी प्रकार के दुखो से छुटकारा मिलेगा और आपका मन हमेशा सकारात्मक रहेगा और घर में भी सकारात्मक माहौल बना रहेगा.
PDF Name: | Tarak-Mantra-तारक-मंत्र |
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