Surya Chalisa in Hindi PDF Free Download : श्री सूर्य देव चालीसा PDF – हिन्दी अनुवाद सहित – सूर्य की आराधना करते समय श्री सूर्य चालीसा का पाठ बहुत ही लाभदायी माना गया है। अगर आप भी हर तरह की सुख-संपत्ति और पुत्र की प्राप्ति चाहते हैं तो आपको इस चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
शास्त्रों में सूर्य देव को ऊर्जा का प्रतीक माना गया है इसलिए जिन भी लोगों के जीवन में उत्साह की कमी है और उन्हे कामयाबी नहीं मिल रही है तो वे रोजाना सूर्य देव को सुबह जल चढ़ा कर सूर्य चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
इससे उनके जीवन में सभी कठनाइयाँ दूर हो जाएंगी और कोई भी व्यक्ति जो नितनैम से पुजा करता है वह कामयाबी को छूने लगेगा और इसके साथ ही रोग-दोष समाप्त हो जाएंगे शरीर में नई ऊर्जा का संचार होगा।
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सूर्य देव को एक प्रत्यक्ष देव माना जाता है। सूर्य देव की पूजा में गायत्री मंत्र के साथ उनकी चालीसा भी पढ़ी जाती है। सूर्य चालीसा चालीस दोहों से बनी एक भक्तिमय स्तुति है जिसमें सूर्यदेव का वर्णन है। इस पोस्ट में हमने Surya Chalisa Hindi PDF / सूर्य चालीसा PDF डाउनलोड करने के लिए लिंक भी दिया है।
सूर्य चालीसा पढ़ने के फायदे
सूर्य चालीसा पढ़ने के कई फायदे बताए गए हैं। धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इसके नियमित पाठ से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं:
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: यह शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में वृद्धि करता है। माना जाता है कि यह नेत्रों की ज्योति बढ़ाता है और नेत्र रोगों तथा अन्य बीमारियों से बचाव में सहायक होता है, जिससे आरोग्य का वरदान मिलता है।
- आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता: सूर्य देव शक्ति, तेज और अधिकार के प्रतीक हैं। सूर्य चालीसा का पाठ आत्मविश्वास, आत्मबल और निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करता है। यह नेतृत्व कौशल (Leadership Skills) को भी बढ़ाता है।
- मान-सम्मान और सफलता: इसके पाठ से व्यक्ति की यश-कीर्ति बढ़ती है और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। कार्यों में सफलता मिलती है और करियर में प्रगति के अवसर बनते हैं।
- ग्रहों के दोष शांत: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर हो या कोई सूर्य दोष हो, तो यह चालीसा उस दोष को शांत करने और सूर्य ग्रह को मजबूत बनाने में विशेष रूप से लाभकारी होता है।
- नकारात्मकता से मुक्ति: यह जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सुख-शांति लाता है।
- अकाल मृत्यु का भय दूर: कुछ मान्यताओं के अनुसार, सूर्य चालीसा का नियमित पाठ अकाल मृत्यु के खतरे को भी दूर करता है।
- सरकारी नौकरी या राजयोग: सूर्य की उपासना से सरकारी नौकरी और राजयोग प्राप्त होने की मान्यता भी है।
सूर्य चालीसा का पाठ, खासकर रविवार के दिन, सबसे उत्तम माना जाता है।
Surya Chalisa in Hindi lyrics pdf
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर,मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए,शंख चक्र के सङ्ग॥
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!।सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर।हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी।तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर।सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै।हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै।दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥
नमस्कार को चमत्कार यह।विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई।अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते।सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन।रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते।रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित।भास्कर करत सदा मुखको हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन।भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर।कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा।गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी।बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्रांशु सर्वांग सम्हारै।रक्षा कवच विचित्र विचारे॥
अस जोजन अपने मन माहीं।भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै।जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता।नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही।कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके।धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा।किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों।दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी।हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन।मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै।ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता।कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं।पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं॥
॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत,गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध,होंहिं सदा कृतकृत्य॥