साँवरिया सेठ, श्रीनाथजी का दिव्य स्वरूप माने जाते हैं। भक्त उन्हें अपने “सेठ”, “दाता”, “रक्षक” और “इच्छापूर्ति करने वाले ठाकुर” के रूप में पूजते हैं। भारत के राजस्थान क्षेत्र—विशेषकर मांडवगढ़, मेवाड़ और सांवरिया धाम—में उनके भक्तों की अनगिनत संख्या है।
आरती किजै साँवरिया सेठ की, भक्तन के काज सवारे।
धूप, दीप अरु नैवेद्य देखो, श्री थाल सजा दरबारै॥
यह आरती भक्त के मन में भक्ति-भाव, आनंद, श्रद्धा और प्रेम का संचार करती है। आरती के प्रत्येक शब्द में एक दिव्यता, एक ऊर्जा और सांवरिया सेठ के अद्भुत चमत्कारों की झलक मिलती है।
साँवरिया सेठ कौन हैं?
साँवरिया सेठ को भगवान श्रीकृष्ण का अत्यंत सुंदर और सौम्य स्वरूप माना जाता है।
उन्हें “साँवला सेठ”, “मेवाड़ के ठाकुर”, “मंदावर के दाता” और “इच्छा पूर्ण करने वाले मालिक” कहा जाता है।
कहते हैं कि—
जो मनोकामना किसी भी मंदिर में पूरी न हो, वह सांवरिया सेठ के दरबार में निश्चित रूप से पूर्ण होती है।
राजस्थान के साँवरिया धाम में करोड़ों भक्त अपनी अर्जी, मनोकामना, व्यवसाय, सफलता, धन-समृद्धि, विवाह और स्वास्थ्य से जुड़ी प्रार्थनाएँ लेकर आते हैं। sawariya seth ki aarti pdf
आरती का भावार्थ
नीचे प्रत्येक पंक्ति के अर्थ को सरल, भक्तिमय और गहरे भावार्थ सहित समझाया गया है ताकि पाठक लेख से जुड़ सके और SEO के लिहाज से सामग्री समृद्ध बने।
“आरती किजै साँवरिया सेठ की, भक्तन के काज सवारे।”
इस पंक्ति में भक्त कह रहा है कि हे साँवरिया सेठ!
हम आपकी आरती उतारते हैं क्योंकि आप अपने भक्तों के हर कार्य को सफल करते हैं।
यह पंक्ति संकेत देती है—
- भक्तों की रक्षा
- मनोकामना पूर्ण करना
- संकटों का समाधान
“धूप, दीप अरु नैवेद्य देखो, श्री थाल सजा दरबारै॥”
भक्त कहता है कि—
हे प्रभु!
धूप, दीप और नैवेद्य आपके दरबार में सजाए गए हैं।
यह भक्ति की पूर्णता और प्रभु के स्वागत का प्रतीक है।
“चौसठ कला के धनी हमारे, सात समुद्र से न्यारे।”
साँवरिया सेठ श्रीकृष्ण का रूप हैं और वे:
- 64 कलाओं के स्वामी
- अद्वितीय
- दुनिया भर से निराले
इससे प्रभु की महानता का वर्णन होता है।
“खीर, पूड़ी, मालपुआ देखो, साधन ढेर पसारै॥”
यह पंक्ति भोग और प्रसाद की महिमा बताती है।
साँवरिया सेठ को मीठा भोग, मालपुआ, खीर आदि अत्यंत प्रिय हैं।
“कुंज बिहारी, श्री गिरधारी, राधाकृष्ण मुरारी।”
यहाँ सेठ की पहचान कराई गई है—
वे वही श्रीकृष्ण हैं, जिन्होंने—
- गोपियों संग रास रचाया (कुंज बिहारी)
- गोवर्धन धारण किया (गिरधारी)
- राधा के प्रियतम हैं
“श्याम रंग में रंगे हमारे, भक्तन के दुख हरो प्यारे॥”
हे श्याम!
हम आपके रंग में रंगे हैं,
हमारे दुखों का नाश करें।
यह पंक्ति भावुक और भक्तिमूलक है।
“लाखों दीप जले दरबार में, सजते भोग तुम्हारे।”
यह पंक्ति साँवरिया धाम के विशाल, दिव्य और प्रकाशमान स्वरूप को दर्शाती है।
“साँवरिया सेठ कृपा करजो, निज धाम बुलाओ प्यारे॥”
भक्त यहां मोक्ष और प्रभु के परमधाम की प्राप्ति की कामना करता है।
इस आरती का आध्यात्मिक महत्व
मनोवैज्ञानिक शांति
आरती के शब्द मन को शांत करते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
व्यापार व धन लाभ
साँवरिया सेठ को “व्यापारियों के देवता” भी कहा जाता है।
घर में सुख-शांति
दैनिक या साप्ताहिक आरती से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मनोकामना पूर्णता
भक्तों का मानना है कि सच्चे मन से आरती करने से इच्छाएँ पूरी होती हैं।
यह आरती सिर्फ शब्दों का समूह नहीं, बल्कि भक्ति, श्रद्धा, ऊर्जा और उम्मीद का अद्भुत संगम है।
जो भी व्यक्ति सत्य, प्रेम और विश्वास के साथ साँवरिया सेठ की आरती करता है, उसके जीवन की हर बाधा दूर हो जाती है।