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Rashmirathi Poem in Hindi PDF Free Download रश्मिरथी कविता का सारांश PDF वसुधा का नेता कौन हुआ PDF तू स्वयं तेज भयकारी है क्या कर सकती चिनगारी है PDF रश्मिरथी PDF वाटिका और वन एक नहीं PDF रश्मिरथी तृतीय सर्ग PDF
Rashmirathi is one of the best works of Hindi literature and poetry. Rashmirathi Khandkavya was composed by Sahitya Shiromani Shri Ramdhari Singh “Dinkar” ji.
Dinkar ji was born on 23 September 1908 in village Simaria, District Begusarai, Bihar, India. Kurukshetra, Urvashi, Renuk, Dwandgeet, Bapu, Dhoop Chhan, Mirch Ka Maze, Sooraj Ka Marriage and Rashmirathi are among his most popular and popular compositions. Rashmirathi Khandkavya was published in 1952. There are 7 cantos in this Khandkavya.
The Well-known Epic Poem “Rashmirathi” Was Written By Ramdhari Singh Dinkar, A Poet From India. This Masterwork, Which Was First Published In 1952, Has Received A Great Deal Of Praise For Its Deep Philosophical Ideas, Potent Imagery, And Exceptional Poetry.
Translating To “The Sun’s Charioteer” In English, The Poem “Rashmirathi” Mostly Centers On The Life And Actions Of Karna, A Prominent Figure From The Indian Epic Mahabharata. “Rashmirathi” Enthralls Readers With Its Intricate Story, Striking Descriptions, And Examination Of Difficult Moral Issues; It Is A Timeless Masterpiece Of Indian Literature.
“रश्मिरथी” कृष्ण की चेतावनी संबंधित एक प्रसिद्ध हिन्दी काव्य कृति नहीं है, बल्कि यह काव्य कृति रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित “रश्मिरथी” में स्थान पाती है जो महाभारत के कर्ण के चरित्र पर आधारित है। कृष्ण ने महाभारत के युद्धभूमि के मैदान में आर्जुन को उसके सतत क्षमा और धर्म के पुजारी कर्मों के लिए प्रेरित किया था, लेकिन उनकी काव्य रचनाओं में इस संदर्भ में कोई विशेष चेतावनी नहीं मिलती है।
“रश्मिरथी” काव्य कृति में कर्ण का चरित्र अत्यंत महान रूप से विवेचित किया गया है और यह कृति भारतीय साहित्य की अमूर्त सुरक्षा की एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
“रश्मिरथी” के माध्यम से, दिनकर ने कर्ण के चरित्र को उसके अंतर्निहित विचारों, उनके धर्मसंबंधी संघर्षों, और उसके प्रेम और सहानुभूति के संदेशों के साथ विस्तार से प्रस्तुत किया है। इसका अर्थात, यह एक ऐसी कृति है जिसने महाभारत के कर्ण को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है और उसके विचारों को सांस्कृतिक एवं धार्मिक संदर्भ में समझाने का प्रयास किया है।
“रश्मिरथी” का तृतीय सर्ग, जिसे “कर्ण-वध” कहा जाता है, महाकाव्य का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जो कर्ण के वध की घटना पर केंद्रित है। इस सर्ग में कर्ण का पराभव, उसकी चिरकालिन मृत्यु और इससे जुड़े भावनात्मक पहलुओं का विवेचन किया गया है। यहां कुछ मुख्य बिंदुओं को शामिल किया गया है जो तृतीय सर्ग का संक्षेप में विवरण करते हैं:
तृतीय सर्ग में दिनकर ने कर्ण के चरित्र को उनके आद्मीय और मानवीय पहलुओं के साथ पेश किया है। यह एक उदाहरणीय काव्य है जिसमें भावनाओं, साहित्यिक शौर्य, और धार्मिक चिंतन की गहराईयों को छूने का प्रयास किया गया है।
“रश्मिरथी” का पहला सर्ग “सृजन” नामक है और इसमें कवि दिनकर ने कर्ण के जन्म की घटना को विवरण किया है। यह सर्ग उस क्षण को बताता है जब कर्ण ने अपनी माता कुंती के बारे में जाना और उसे स्वयं नहीं, दूसरों के सामाजिक परिस्थितियों के चलते, एक असमान अवस्था में जीने का अभ्यास किया।
कुंती का विरह:
कर्ण का जन्म:
कर्ण की अवस्था:
कर्ण की प्रतिज्ञा:
समाप्ति:
“रश्मिरथी” का पहला सर्ग “सृजन” एक महाकाव्य के प्रारंभिक हिस्से का विवेचन करता है और पठने वाले को कर्ण के जीवन के पहले कदमों की ओर प्रेरित करता है।
PDF Name: | Rashmirathi-Poem-in-Hindi |
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