buddha vandana pdf : नमस्ते! बुद्ध वंदना के बारे में आपकी जानकारी के लिए, यहाँ इसका पूरा विवरण दिया गया है।
बुद्ध वंदना क्या है?

बुद्ध वंदना (या बुद्ध पूजा) बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रथा है, जिसमें भगवान बुद्ध के प्रति सम्मान, श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। यह वंदना पाली भाषा में लिखी गई है, जो भगवान बुद्ध के उपदेशों की मूल भाषा थी। बुद्ध वंदना सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह अपने मन को शांत करने, सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेने और बुद्ध, धम्म और संघ के गुणों को याद करने का एक तरीका है।
इस वंदना को तीन मुख्य भागों में बांटा गया है, जिन्हें ‘त्रिरत्न’ या ‘तीन रत्न’ भी कहते हैं:
- बुद्ध वंदना: भगवान बुद्ध के गुणों की स्तुति।
- धम्म वंदना: भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेशों (धम्म) के गुणों की स्तुति।
- संघ वंदना: भगवान बुद्ध के शिष्यों के समुदाय (संघ) के गुणों की स्तुति।
संपूर्ण बुद्ध वंदना (पाली और हिंदी अर्थ के साथ)
1. नमोकार (प्रणाम)
सबसे पहले, तीन बार भगवान बुद्ध को प्रणाम किया जाता है।
पाली:
- नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स। (३ बार)
हिंदी अर्थ:
- उन भगवान, अरहत, सम्यक सम्बुद्ध को मेरा नमस्कार।
2. बुद्ध वंदना (बुद्ध पूजा)
यह भाग भगवान बुद्ध के असाधारण गुणों का वर्णन करता है।
पाली:
- इति पि सो भगवा अरहं सम्मासम्बुद्धो,
- विज्जाचरणसम्पन्नो सुगतो लोकविदू,
- अनुत्तरो पुरिसदम्मसारथि सत्था देवमनुस्सानं,
- बुद्धो भगवा ति।
हिंदी अर्थ:
- वह भगवान, अरहत (योग्य), सम्यक सम्बुद्ध (पूर्ण रूप से जागृत) हैं।
- वे विद्या और आचरण से संपन्न, सुगत (अच्छे मार्ग पर चलने वाले) और लोकविदू (संसार को जानने वाले) हैं।
- वे अनुपम पुरुष दमन सारथी (पुरुषों को वश में करने में श्रेष्ठ मार्गदर्शक), देवताओं और मनुष्यों के शिक्षक हैं।
- वे बुद्ध और भगवान हैं।
3. धम्म वंदना (धम्म पूजा)
यह हिस्सा भगवान बुद्ध के उपदेशों की महानता को बताता है।
पाली:
- स्वाक्खातो भगवता धम्मो, सन्दिठ्ठिको, अकालिको,
- एहिपस्सिको, ओपनेय्यिको, पच्चत्तं वेदितब्बो विञ्ञूही ति।
हिंदी अर्थ:
- भगवान बुद्ध द्वारा उपदेशित धर्म सुंदर है, वह इसी जीवन में फल देने वाला, समय से परे (हमेशा प्रासंगिक) है।
- वह ‘आओ और देखो’ के योग्य है, निर्वाण तक ले जाने वाला है, और विद्वान पुरुषों द्वारा अपने भीतर ही अनुभव करने योग्य है।
4. संघ वंदना (संघ पूजा)
यह भाग बुद्ध के अनुयायियों के समुदाय (संघ) के गुणों को दर्शाता है।
पाली:
- सुप्पटिपन्नो भगवतो सावकसंघो,
- उजुप्पटिपन्नो भगवतो सावकसंघो,
- ञायप्पटिपन्नो भगवतो सावकसंघो,
- सामीचिप्पटिपन्नो भगवतो सावकसंघो,
- यदिदं चत्तारि पुरिसयुगानि अट्ठ पुरिसपुग्गला,
- एस भगवतो सावकसंघो,
- आहुनेय्यो, पाहुनेय्यो, दक्खिणेय्यो, अञ्जलिकरणीयो,
- अनुत्तरं पुञ्ञक्खेत्तं लोकस्सा ति।
हिंदी अर्थ:
- भगवान बुद्ध के श्रावक संघ ने अच्छी तरह से आचरण किया है।
- भगवान बुद्ध के श्रावक संघ ने सीधा आचरण किया है।
- भगवान बुद्ध के श्रावक संघ ने न्यायपूर्वक आचरण किया है।
- भगवान बुद्ध के श्रावक संघ ने उचित आचरण किया है।
- ये चार युगल और आठ प्रकार के पुद्गल (व्यक्ति) हैं, यही भगवान बुद्ध का श्रावक संघ है।
- वे आदरणीय हैं, अतिथि सत्कार के योग्य हैं, दान के पात्र हैं, हाथ जोड़कर अभिवादन करने योग्य हैं, और लोक के लिए सबसे उत्तम पुण्य क्षेत्र हैं।
त्रिशरण (तीन शरण)
वंदना के अंत में, बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों को याद करते हुए, ‘तीन शरण’ ली जाती है।
पाली:
- बुद्धं सरणं गच्छामि।
- धम्मं सरणं गच्छामि।
- संघं सरणं गच्छामि।
- (दुतियम्पि… और ततियम्पि… के साथ दोहराएं)
हिंदी अर्थ:
मैं संघ की शरण में जाता हूँ।
मैं बुद्ध की शरण में जाता हूँ।
मैं धर्म की शरण में जाता हूँ।