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11 months ago
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भीमरूपी स्तोत्र, एक महान आध्यात्मिक रचना है जिसे महान संत रामदास स्वामी जी ने सृष्टि किया है। इस स्तोत्र में, संत रामदास स्वामी जी ने भगवान श्री हनुमान जी की महिमा और गुणगान को महसूस कराया है। भीमरूपी स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को भगवान हनुमान की कृपा मिलती है और उसके जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। इसके साथ ही, इस स्तोत्र का पाठ अश्वत्थ मारुति पूजा के समय भी किया जाता है। इस लेख में, हम भीमरूपी स्तोत्र के लाभ और इसके महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से जानेंगे।
भीमरूपी स्तोत्र का विशेषता:
भीमरूपी स्तोत्र का महत्त्वपूर्ण स्थान हिंदू धर्म में है, और यह महान संत रामदास स्वामी जी के द्वारा रचित किया गया है। इस स्तोत्र में भगवान हनुमान की अद्वितीय शक्तियों का वर्णन है, जो भक्तों को सुरक्षा, शक्ति, और सामर्थ्य प्रदान करती हैं। यह स्तोत्र भगवान हनुमान के भक्तों के बीच में एक अद्वितीय भावना और श्रद्धा का संवेदनशीलता करता है।
भीमरूपी महारुद्रा वज्र हनुमान मारुती ।
वनारि अंजनीसूता रामदूता प्रभंजना ॥ १॥
महाबळी प्राणदाता सकळां उठवी बळें ।
सौख्यकारी दुःखहारी धूर्त वैष्णव गायका ॥ २॥
दीनानाथा हरीरूपा सुंदरा जगदांतरा ।
पातालदेवताहंता भव्यसिंदूरलेपना ॥ ३॥
लोकनाथा जगन्नाथा प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला पावना परितोषका ॥ ४॥
ध्वजांगें उचली बाहो आवेशें लोटला पुढें ।
काळाग्नि काळरुद्राग्नि देखतां कांपती भयें ॥ ५॥
ब्रह्मांडें माइलीं नेणों आंवळे दंतपंगती ।
नेत्राग्नि चालिल्या ज्वाळा भ्रकुटी तठिल्या बळें ॥ ६॥
पुच्छ तें मुरडिलें माथां किरीटी कुंडलें बरीं ।
सुवर्णकटिकांसोटी घंटा किंकिणि नागरा ॥ ७॥
ठकारे पर्वताइसा नेटका सडपातळू ।
चपळांग पाहतां मोठें महाविद्युल्लतेपरी ॥ ८॥
कोटिच्या कोटि उड्डणें झेपावे उत्तरेकडे ।
मंदाद्रीसारिखा द्रोणू क्रोधें उत्पाटिला बळें ॥ ९॥
आणिला मागुती नेला आला गेला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें गतीसी तूळणा नसे ॥ १०॥
अणूपासोनि ब्रह्मांडायेवढा होत जातसे ।
तयासी तुळणा कोठें मेरुमांदार धाकुटें ॥ ११॥
ब्रह्मांडाभोंवते वेढे वज्रपुच्छें करूं शके ।
तयासी तुळणा कैंची ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ॥ १२॥
आरक्त देखिलें डोळां ग्रासिलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे भेदिलें शून्यमंडळा ॥ १३॥
धनधान्य पशुवृद्धि पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादि स्तोत्रपाठें करूनियां ॥ १४॥
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भूतप्रेतसमंधादि रोगव्याधि समस्तही ।
नासती तूटती चिंता आनंदे भीमदर्शनें ॥ १५॥
हे धरा पंधराश्लोकी लाभली शोभली भली ।
दृढदेहो निःसंदेहो संख्या चंद्रकलागुणें ॥ १६॥
रामदासीं अग्रगण्यू कपिकुळासि मंडणू ।
रामरूपी अन्तरात्मा दर्शने दोष नासती ॥ १७॥
॥ इति श्री रामदासकृतं संकटनिरसनं नाम श्री मारुतिस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
भीमरूपी स्तोत्र के लाभ:
भीमरूपी स्तोत्र के फायदे:
भीमरूपी स्तोत्र का प्रमुख उद्देश्य:
भीमरूपी स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य भगवान हनुमान के प्रति श्रद्धा और भक्ति को बढ़ावा देना है। इस स्तोत्र के पाठ से भक्त भगवान हनुमान की कृपा में भाग्यशाली होता है और अपने जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति करता है।
भीमरूपी स्तोत्र का पीडीएफ, एमपी3 डाउनलोड और बोल:
भीमरूपी स्तोत्र का पीडीएफ आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध हैं। भक्त इन फॉर्मेट्स में इसे डाउनलोड कर सकते हैं और सुन सकते हैं, जिससे उन्हें स्तोत्र का प्रतिदिन का पाठ करने में सुविधा होगी। इसके बोल भी उपलब्ध हैं, जो भक्तों को सही उच्चारण के साथ स्तोत्र का आनंद लेने में मदद करेंगे।
भीमरूपी स्तोत्र के आधार पर ध्यान:
भीमरूपी स्तोत्र का पाठ करने के लिए ध्यान में बैठने से पहले, भक्त को ध्यान में शांति प्राप्त करने के लिए अपने विचारों को शुद्ध करना चाहिए। फिर, श्रद्धा भाव से भीमरूपी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, जिससे भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त हो। यदि संभावना हो, तो स्तोत्र का पाठ पूजा के बाद करना अधिक शुभ रहता है।
इस प्रकार, भीमरूपी स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भक्त अपने जीवन को धार्मिकता, शक्ति, और साहस से भर देता है। यह एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव है जो भक्तों को भगवान हनुमान के साथ अद्वितीय जुड़ाव में ले जाता है
समाप्त रूप से:
भीमरूपी स्तोत्र का नियमित पाठ करना भक्त को आध्यात्मिक संजीवनी प्रदान करता है और उसे भगवान हनुमान के आशीर्वाद में समर्थन मिलता है। यह स्तोत्र भक्ति और आध्यात्मिक विकास की ओर एक मार्गदर्शन करता है, जो भक्त को दिनचर्या की भागीदारी में सहारा प्रदान करता है। जय श्री हनुमान!
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