Baglamukhi Chalisa – माँ बगलामुखी चालीसा

Baglamukhi Chalisa pdf free download now. यहाँ माँ बगलामुखी के प्रसिद्ध चालीसा बोल (लिरिक्स) दिए गए हैं, जिसे आप आसानी से पढ़ सकते हैं। यहाँ पर, चालीसा की PDF फ़ाइलें सीधे डाउनलोड या प्रिंट करके उपयोग कर सकते हैं।

माँ बगलामुखी चालीसा माँ बगलामुखी को समर्पित है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं। इस चालीसा में माँ के स्वरूप, महिमा और उनसे की जाने वाली प्रार्थना का वर्णन है।

बगलामुखी चालीसा के क्या फायदे हैं?

  • नित्य चालीसा पाठ करने वाले पर गौरीशा (शिव) भी कृपा करते हैं।
  • माँ स्तम्भन (शत्रुओं की गति या वाणी को रोकना) क्षण भर में कर देती हैं।
  • भैरव उनकी सदा सेवकाई करते हैं।
  • वे सिद्ध काम करती हैं और सब विघ्नों का नाश करती हैं।
  • वे हताश (निराश) लोगों का सहारा हैं और अकिंचन (गरीब) की मदद करती हैं।
  • जो उन्हें चित लगाकर स्मरण करता है, वह उनकी योग क्षेम (कल्याण) से सहायता करते हैं।
  • वे आपत्ति, आधि (मानसिक पीड़ा), और व्याधि (रोग) तथा संकट को तुरंत दूर करती हैं।
  • वे अरि भंजक (शत्रुओं को नष्ट करने वाली) और विपत्ति की त्राता (रक्षा करने वाली) हैं।
  • वे रिद्धि-सिद्धि की दाता हैं।
  • वे सर्व रोग की नाशन हारी और अरिकुल मूलच्चाटन कारी (शत्रुओं को जड़ से उखाड़ने वाली) हैं।
  • वे स्त्री-पुरुष और राज सम्मोहक हैं।
  • कुबेर भी उन्हें मनाते हैं और वे श्री, समृद्धि, सुयश देती हैं।
  • वे दुःख दारिद्र का विनाश करती हैं और यश, ऐश्वर्य, सिद्धि की दाता हैं।

बगलामुखी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

दिन और काल

  • गुरुवार (बृहस्पतिवार): माँ बगलामुखी का प्रिय दिवस गुरुवार माना जाता है। इस दिन चालीसा पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है।
  • रात्रि काल: तंत्र शास्त्र में देवी की उपासना रात्रि काल में करना विशेष लाभप्रद माना गया है, विशेषकर सूर्यास्त के बाद

आप अपनी सामान्य दैनिक पूजा में कभी भी चालीसा का पाठ कर सकते हैं, लेकिन गुरुवार के दिन रात्रि काल में किसी विशेष शत्रु बाधा निवारण के उद्देश्य से पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है।

बगलामुखी चालीसा

II दोहा II

1- नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल ।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ।।

2- नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी ।।
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी ।।

3- अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा ।
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना ।।

4- स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे ।
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला ।।

5- भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई ।
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा ।।

6- तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी ।
छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी ।।

7- सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे ।
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन ।।

8- दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता ।
साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता ।।

9- मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी ।
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी ।।

10- अरि अरिष्ट सोचे जो जन को ,बुध्दि नाशकर कीलक तन को ।
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ।।

11- चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे ।
अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे ।।

12- मूठ आदि अभिचारण संकट . राजभीति आपत्ति सन्निकट ।
ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे ।।

13- सुमरित राजव्दार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे ।
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर ।।

14- सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी ।
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक ।।

15- तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें ।
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता ।।

16- यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता ।
पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी ।।

17- जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई ।
आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो ।।

18- पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी ।
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया ।।

19- जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा ।
नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता ।।

20- सोम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता ।
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो ।।

21- नमो महाविधा आगारा, आदि शक्ति सुन्दरी आपारा ।
अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता ।।

II दोहा II

22- रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल ।
मेरी सब बाधा हरो, माँ बगले तत्काल ।।

Baglamukhi Chalisa pdf

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