पंचदेव पूजा सनातन धर्म में सूर्यदेव, श्री गणेश, माँ दुर्गा, भगवान शंकर (शिव) और भगवान विष्णु – इन पाँच प्रमुख देवताओं की पूजा को कहते हैं।
यद्यपि संपूर्ण और विस्तृत पूजा विधि बहुत लम्बी होती है, जिसमें कई वैदिक मंत्र और कर्मकांड शामिल होते हैं, मैं यहाँ पूजा का एक संक्षिप्त और आवश्यक क्रम प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिसका पालन नित्य पूजा में किया जा सकता है।
संक्षिप्त पंचदेव पूजा विधि
पंचदेवों की पूजा का क्रम शास्त्रों में इस प्रकार बताया गया है:
रविर्विनायकश्चण्डी ईशो विष्णुस्तथैव च। अनुक्रमेण पूज्यन्ते व्युत्क्रमे तु महद् भयम्।। अर्थात: सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु – इसी क्रम में पूजा करनी चाहिए।
1. संकल्प और शुद्धि
- आचमन: तीन बार जल ग्रहण करें और ‘ॐ केशवाय नमः’, ‘ॐ नारायणाय नमः’, ‘ॐ माधवाय नमः’ बोलें।
- संकल्प: हाथ में जल, अक्षत (चावल), और पुष्प लेकर तिथि, वार, अपना नाम, और पूजा का उद्देश्य बोलकर जल भूमि पर छोड़ दें।
- दीपक प्रज्वलन: दीपक जलाएं और ‘शुभं करोति कल्याणम्…’ मंत्र बोलें।
2. श्री गणेश पूजा (प्रथम पूज्य)
सर्वप्रथम भगवान गणेश का ध्यान करें और पूजन करें।
- ध्यान मंत्र:खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं। प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्॥ दन्ताघातविदारितारिरुधिरैः सिन्दूरशोभाकरं। वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम्॥
- आवाहन एवं अर्पण:ॐ श्री गणेशाय नमः।
- पाद्यं, अर्घ्यं, आचमन्यं, स्नानं समर्पयामि।
- वस्त्रं, उपवस्त्रं, यज्ञोपवीतं (या कलावा) समर्पयामि।
- चन्दनं, अक्षतं, पुष्पमालां, दुर्वांकुरान् समर्पयामि।
- धूपं दर्शयामि, दीपं दर्शयामि।
- नैवेद्यं समर्पयामि।
- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें।
3. सूर्यदेव पूजा
- ध्यान मंत्र:जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्। तमोरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥
- आवाहन एवं अर्पण:ॐ घृणि सूर्याय नमः।
- जल (अर्ध्य), चन्दन, अक्षत, रक्तपुष्पं समर्पयामि।
4. शिव पूजा
- ध्यान मंत्र:ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं। रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्॥
- आवाहन एवं अर्पण:ॐ नमः शिवाय।
- पाद्यं, अर्घ्यं, आचमन्यं, स्नानं (गंगाजल) समर्पयामि।
- भस्म, बिल्वपत्रं, भांग, धतूरा, श्वेतपुष्पं समर्पयामि।
5. माँ दुर्गा पूजा
- ध्यान मंत्र:सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
- आवाहन एवं अर्पण:ॐ दुं दुर्गायै नमः।
- पाद्यं, अर्घ्यं, आचमन्यं, स्नानं समर्पयामि।
- लाल पुष्प, कुमकुम, सिन्दूर, चुनरी, श्रृंगार सामग्री समर्पयामि।
6. भगवान विष्णु पूजा
- ध्यान मंत्र:शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्॥ लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
- आवाहन एवं अर्पण:ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
- पाद्यं, अर्घ्यं, आचमन्यं, स्नानं समर्पयामि।
- पीले वस्त्रं, पीला चन्दनं, तुलसी पत्रं, पीले पुष्प समर्पयामि।
7. उपसंहार (अंतिम चरण)
- धूप-दीप: सभी देवताओं को धूप-दीप दिखाएं।
- आरती: पंचदेवों की या अपने इष्ट देव की आरती करें।
- प्रदक्षिणा: खड़े होकर चार परिक्रमा करें (या आसन पर ही घूम लें)।यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि च। तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे॥
- पुष्पांजलि: हाथों में पुष्प लेकर सभी देवताओं को अर्पित करें और उनसे क्षमा याचना करें।
- विसर्जन/समर्पण: ‘ॐ विष्णवे नमः’ बोलते हुए जल छोड़ें और पूजा को भगवान को समर्पित करें।