आश्विन शुद्ध पक्षी अंबा | Ashwin Shuddha Pakshi
Ashwin Shukla Paksha Aarti lyrics

Ashwin Shukla Paksha Aarti

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Ashwin Shukla Paksha Aarti Pdf: अगर आप आश्विन शुक्ल पक्ष में पढ़ी जाने वाली आरतियां ढूंढ रहे हैं, तो यह आपके लिए है। इस पवित्र समय में, नवरात्रि के दौरान आंबा माता की आरती और एकादशी की पावन आरती विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है।

आश्विन शुद्ध पक्षी आरती मराठी और हिंदी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है। यह आरती भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति प्रदान करती है। आप इसे मराठी माती की भावना में गाकर या पढ़कर देवी के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त कर सकते हैं।

अब आप इस आरती का PDF फाइल नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते हैं और इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा कर सकते हैं। इसे रोजाना पूजा के समय या खास मौकों जैसे नवरात्रि और एकादशी पर पढ़ें और देवी की कृपा प्राप्त करें।

Ashwin Shukla Paksha Aarti lyrics

आश्विन शुद्ध पक्षी अंबा बैसली सिंहासनी हो । 

प्रतिपदेपासून घटस्थापना ती करूनि हो । 

मूलमंत्रजप करूनी भोवतें रक्षक ठेऊनि हो । 

ब्रह्माविष्णुरुद्र आईचे पूजन करिती हो ॥१ ॥

 उदो बोला उदो अंबाबाई माऊलीचा हो । 

उदोकारे गर्जती काय महिमा वर्ण तिचा हो ॥ धृ ॥ 

द्वितीयेचे दिवशी मिळती चौसष्ट योगिनि हो । 

सकळांमध्ये श्रेष्ठ परशुरामाची जननी हो ॥ 

कस्तुरीमळवट भांगी शेंदुर भरूनी हो । 

उदोकारें गर्जती सकळ चामुंडा मिळुनि हो ॥ उदो ॥ २ ॥

तृतीयेचे दिवशी अंबे शृंगार मांडिला हो । 

मळकट पातळ चोळी कंठी हार मुक्ताफळा हो ॥ 

कंठीची पदके कांसे पीतांबर पिवळा हो ।

अष्टभुजा मिरविती अंबे सुंदर दिसे लीला हो ॥ उदो ॥३॥ 

चतुर्थीचे दिवशी विश्वव्यापक जननी हो ।

 उपासकां पाहसी अंबे प्रसन्न अंतःकरणीं हो ॥

 पूर्ण कृपे पाहसी जगन्माते मनमोहिनी हो ।

भक्तांच्या माऊलि सुर ते येती लोटांगणी हो ॥ उदो ॥ ४॥ 

पंचमीचे दिवशीं व्रत तें उपांगललिता हो ।

अर्घ्यपाद्यपूजनें तुजला भवानी स्तविती हो ॥ 

रात्रीचे समयी करिती जागरण हरिकथा हो ।

आनंदें प्रेम तें आलें सद्भावें क्रीडता हो ॥ उदो ॥ ५ ॥

षष्ठीचे दिवशी भक्तां आनंद वर्तला हो । 

घेऊनि दिवट्या हस्ती हर्षे गोंधळ घातला हो ॥

कवडी एक अर्पितां देसी हार मुक्तफलांचा हो । 

जोगवा मागतां प्रसन्न झाली भक्तकुळा हो ॥ उदो ॥ ६ ॥ 

सप्तमीचे दिवशी सप्तशृंगगडावरी हो ।

तेथें तूं नांदसी भोवतें पुष्पं नानापरी हो ॥

जाईजुईशेवंती पूजा रेखियली बरवी हो ।

भक्तसंकटी पडतां झेलूनि घेसी वरचे वरी हो ॥उदो ॥ ७॥ 

अष्टमीचे दिवशी अष्टभुजां नारायणी हो । 

सह्याद्रीपर्वती पाहिली उभी जगज्जननी हो ॥ 

मन माझें मोहिलें शरण आलों तुजलागुनी हो ।

स्तनपान देऊनि सुखी केली अंतःकरणीं हो ॥ उदो ॥ ८॥

नवमीचे दिवशीं नवदिवसांचे पारणे हो । 

सप्तशतीजप होम हवनें सद्भक्ती करूनी हो ॥

षड्रस अन्न नैवेद्यासी अर्पियली भोजनी हो । 

आचार्यब्राह्मणां तृप्त केलें कृपेंकरूनी हो ॥ उदो ॥ ९ ॥ 

दशमीच्या दिवशी अंबा निघे सीमोल्लंघनी हो । 

सिंहारूढे दारुण शस्त्रे अंबे त्वां घेऊनी हो ॥ 

शुंभनिशुंभादिक राक्षसा किती मारिसी रणी हो ।

विप्रा रामदासा आश्रय दिधला तो चरणी हो ॥ उदो ॥१० ॥

।।जगदंबा माता की जय।।

आश्विन शुक्ल पक्ष आरती में मां दुर्गा, भगवान विष्णु, और अन्य देवी-देवताओं की स्तुति के लिए विशेष भक्ति गीत और आरतियां शामिल होती हैं। इन आरतियों का मुख्य उद्देश्य भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करना और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करना है।

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