आशुतोष शशांक शेखर शिव स्तुति

Ashutosh Shashank Shekhar Stuti Lyrics PDF Download Here.“आशुतोष शशांक शेखर शिव स्तुति” भगवान शिव को समर्पित एक बहुत ही लोकप्रिय और शक्तिशाली स्तुति (प्रशंसात्मक भजन/गीत) है।

यह स्तुति भगवान शिव के विभिन्न नामों, गुणों और स्वरूपों का वर्णन करती है और उनकी वंदना करती है।

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स्तुति की मुख्य विशेषताएं:

  • आशुतोष (Ashutosh): यह शिवजी का नाम है, जिसका अर्थ है शीघ्र प्रसन्न होने वाले
  • शशांक शेखर (Shashank Shekhar): इसका अर्थ है जिनके मस्तक पर चंद्रमा (शशांक) सुशोभित (शेखर) है
  • चंद्र मौल (Chandra Maul): इसका भी अर्थ वही है, जिनके सिर पर चंद्रमा है
  • चिदंबरा (Chidambara): इसका अर्थ है ज्ञान का आकाश (चेतना और मोक्ष का स्थान)।
  • दिगंबरा (Digambara): इसका अर्थ है जो दिशाओं को ही वस्त्र मानते हैं, यानी जो वस्त्रहीन हैं (यह उनके वैरागी स्वरूप को दर्शाता है)।

स्तुति के कुछ अंशों का भाव:

यह स्तुति शिवजी को करोड़ों बार प्रणाम करते हुए उनके गुणों का बखान करती है, जैसे:

  1. “आशुतोष शशांक शेखर चंद्र मौल चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शंभू कोटि नमन दिगंबरा।”
    • अर्थ: हे आशुतोष, जिनके मस्तक पर चंद्रमा है, जो चिदंबर हैं, उन शंभू को करोड़ों प्रणाम और दिगंबर को करोड़ों नमन।
  2. “नाथ नागेश्वर हरो हर पाप शाप अभिशाप, तम महादेव महा महान भोले सदा शिव शिव शंकरा।”
    • अर्थ: हे नागों के नाथ (सर्प धारण करने वाले), हमारे हर पाप, शाप और अभिशाप को हर लें। हे महादेव, महान भोले, सदाशिव शिव शंकर!
  3. “ओम नमः शिवाय मन जपता रहे पंचाक्षरा।”
    • अर्थ: हमारा मन सदैव ‘ओम नमः शिवाय’ रूपी पंचाक्षर मंत्र का जाप करता रहे, ताकि जन्म, जीवन और जगत का संताप दूर हो जाए।

यह स्तुति विशेष रूप से श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दौरान बहुत भक्तिभाव से गाई और सुनी जाती है। यह मन को शांति प्रदान करने वाली और पापों को दूर करने वाली मानी जाती है।

आशुतोष शशांक शेखर शिव स्तुति pdf

आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,

कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा।।

निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव,

जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा।।

निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा,

दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा।।

शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी,

जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा।।

नाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम,

महादेव महान भोले, सदा शिव शिव संकरा।।

जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेरे चरण हो,

क्षमा हो अपराध सब, जय जयति जगदीश्वरा।।

जनम जीवन जगत का संताप ताप मिटे सभी,

ओम नमः शिवाय मन, जपता रहे पञ्चाक्षरा।।

आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,

कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ।।

कोटि नमन दिगम्बरा.. कोटि नमन दिगम्बरा..

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